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यस आई एम—15 [हू इस त्रिशा?]


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तभी उसकी अंगुली एक नंबर पर जा कर रुक गई। उसने उस नंबर पर कॉल की। फोन की रिंग बजने लगी। थोड़ी देर में दुसरी तरफ से कॉल रिसीव हुई। कॉल रिसीव होते ही अभय बोला। "तुम से कुछ जरूरी काम है। सीधा फोरेंसिक लैब आ जाओ।" 

"ठीक है।" कहकर फोन के दूसरी तरफ मौजुद शख्स ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दी।

"ये क्या बेवकूफी थी? एड्रेस जाने बिना ही कॉल डिस्कनेक्ट कर दी।" अभय ने झुंझुलते हुए कहा और दोबारा फिर से कॉल करने लगा। कई रिंग जाने के बाद भी दुसरी तरफ से शख्स ने कॉल रिसीव नहीं की।

"सिवाए इंतजार के अब कुछ नही कर सकते।" आल्हादिनी ने शैलजा और अभय के पास आते हुए कहा।

"ये कौन है?" अभय ने आल्हादिनी को देखते हुए शैलजा से पूछा।

"मेरी नई असिस्टेंट!" शैलजा ने कहा और फिर अभय के चेहरे पर आए भावों को पढ़ने की कोशिश करते हुए बोली। "एक महीना हो गया है इसे, लैब ज्वॉइन किए हुए।" 

"मैने तो पहले इसे यहां कभी नही देखा।" अभय ने आँखें गोल करते हुए पूछा। ना जाने क्यों उसे आल्हादिनी को देखकर उसे अजीब सा लग रहा था। 

"जब भी तुम यहां पर आए इत्तेफाक से आल्हादिनी किसी काम से बाहर गई होती थी।" शैलजा ने जवाब दिया।

"ऐसा क्या? ठीक है।" अभय ने सपाट भाव से कहा और आल्हादिनी की गतिविधियों को बड़ी सावधानी से देखने लगा ताकि उसे इस बात की भनक ना हो।

"अभय तुम्हें कुछ दिखाती हूं।" लाश के पास जाते हुए शैलजा ने कहा।

"क्या?" अभय ने हड़बड़ाहट से पूछा।

"पहले यहां आओ।" शैलजा के इतना कहते ही अभय लाश के पास चला गया।

शैलजा द्वारा लाश के दाएं हाथ की कलाई पर बने हुए निशान को देखते ही अभय के मुंह से खुद ब खुद निकला। "ये तो ऑर्गेनों ग्रुप का निशान है।"

"वो ओरेंगों है।" शैलजा ने अभय को बीच में टोकते हुए कहा।

"नही! ऑर्गेनों ही है। इस ग्रुप के लोग पुरे देश में फैले हुए है। कब उनसे सामना हो जाए कोई नही जानता। इस ग्रुप के लोग ज्यादातर लड़कियों का ही किडनैप करते है। मेरी इन्फॉर्मेशन के मुताबिक सुंदर लड़कियों की ये विदेश में तस्करी कर देते है। पैसे वाले लोग उन्हें खरीद कर अपनी हवस पूरी करते है। बाकि लड़कियों के ऑर्गनस निकाल कर ये ब्लैक मार्केट में बेच देते है।" अभय ने बताया। उसके चेहरे पर घृणा और गुस्से के मिले जुले भाव साफ साफ दिखाई दे रहे थे। जिसे शैलजा महसुस कर पा रही थी।

"आल्हादिनी! जो तुमने मुझे बताया था वो सब अभय को बता दो।" शैलजा ने आवाज लगाते हुए कहा। आल्हादिनी स्टूल पर बैठी हुई बड़े ध्यान से कुछ देख रही थी। अचानक आवाज लगाने की वजह से वह घबराहट में गिरने से बाल बाल बची।

"ध्यान से!" शैलजा ने चिन्तित स्वर में कहा।

आल्हादिनी ने अभय के पास आकर लाश से जुड़ी हुई सारी जानकारी उसे दे दी। तीनों आपस में बात कर ही रहे थे कि तभी सिक्योरिटी गार्ड अंदर आया और अंदर आते ही बोला। "बाहर गेट पर एक लड़का खड़ा हुआ है और कह रहा है कि अभय सर ने उसे यहां पर बुलाया है।"

सिक्योरिटी गार्ड की बात सुनकर अभय एक टेबल के पास चला गया। उसने कंप्यूटर में गेट पर लगे हुए सीसीटीवी कैमरे की फुटेज ऑन की और उसे बंद करते हुए गॉर्ड से बोला। "उसे अंदर भेज दो। मैंने ही उसे यहां पर बुलाया है।" सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखते ही आल्हादिनी की डर की वजह से आँखें चौड़ी हो गई। पीछे खड़े होने के कारण अभय और शैलजा उसके चेहरे के बदलते हुए भावों को नही देख पाए।

सिक्योरिटी गार्ड वहां से चला गया। उसके जाने के कुछ देर बाद बाहर खड़ा हुआ वह लड़का अंदर आ गया।

"नितिन!" लड़के के अंदर आते ही अभय ने कहा और अपने फोन में एक फोटो उसे दिखाते हुए बोला। "ये वही फोटो है ना, जो उस दिन तुमने मुझे दी थी।"

"जी सर!" नितिन ने फोन में फोटो को देखते हुए कहा और फिर आगे बोला। "ये तो मेरी बहन त्रिशा है। अपनी बहन को ढूंढने ही तो मै यहां पर आया था।" उसने बड़ी मुश्किल से अपनी बात पूरी की।

नितिन की आवाज सुनकर आल्हादिनी के कान खड़े हो गए। नितिन की आवाज उसने पहले भी कही सुनी थी, यह सच था या फिर उसका वहम। उसके चेहरे के भाव पल पल में बदल रहे थे। उसे कुछ समझ में नही आ रहा था कि अगर नितिन वही शख्स है जो उसे ब्लैक मेल कर रहा था। फिर वह पुलिस के साथ क्या कर रहा है? कही ये सब नितिन ने उसे फसाने के लिए तो नही किया। अनगिनत विचार आल्हादिनी के दिमाग में आ रहे थे। उसने उन्हें झटकते हुए बाकि के लोगों की बात सुनने लगी।

"उस दिन मुझे कुछ जरूरी काम था। इस वजह से मै तुमसे ज्यादा पूछताछ नही कर पाया।" इतना कहते ही अभय बाकि के लोगों को देखने लगा। तीनों इस वक्त अभय को ही देख रहे थे। वह खुद को सामान्य बनाते हुए बोला। "वैसे तुम्हारी बहन यूनिवर्सिटी में क्या करने आई थी?"

अभय का यह सवाल सुनकर नितिन उसे इस तरह से घूरने लगा मानो वह पुलीस इंस्पेक्टर ना होकर पागल खाने से भागा हुआ कोई कैदी हो। "स्टडी!" खुद के भावों को छिपाने की कोशिश करते हुए नितिन ने जवाब दिया।

"किस चीज की स्टडी?" अभय ने फोन में त्रिशा के चेहरे को गौर से देखते हुए पूछा। 

"पक्का?" अभय ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा। उसका रवैया ऐसा था मानो उसे नितिन की बात पर यकीन ना हो रहा हो।

"वो दी, डबल एमए कर रही थी।" नितीन ने खुलासा करते हुए कहा। 

"पर क्यों?" आल्हादिनी ने हैरान होते हुए पूछा।

"क्योंकि एक तो त्रिशा दी ने अपनी स्टडी आम बच्चों से पहले ही कर ली थी और दूसरा उन्हें पढ़ने लिखने का बहुत शौंक था।" नितिन ने बताया।

"और क्या वह हमेशा तुम्हारे साथ रहती थी।" अभय ने नितिन के चुप होते ही अगला सवाल पूछ डाला।

"वैसे तुम इतने सवाल क्यों पूछ रहे हो?" शैलजा ने अपनी शंका जाहिर करते हुए कहा और फिर आगे बोली। "छोटी बात पर तुम कभी इतनी पूछताछ नही करते। जरूर कोई बड़ी बात है।"

"हां!" अभय ने जवाब दिया और फिर नितिन को देखते हुए आगे बोला। "तुम्हें जो पूछा जा रहा है फटाफट उसका जवाब दो।" अभय के तेवर देखकर नितिन ने हां में गर्दन हिलाई और फिर आगे बोला। "नही। हम दोनों बचपन में ही साथ थे। उसके बाद त्रिशा दी बाहर पढ़ने चली गई। वे मुझे कभी कभार या फिर बस छुट्टियों में ही मिलती थी।"

"क्या तुम्हें कभी त्रिशा की आदतों या हरकतों में कुछ अजीब लगा।" अभय ने नितिन को बीच में ही टोकते हुए पूछा और फिर आगे बोला। "मतलब ऐसी कोई आदत जो त्रिशा को बाकि सब से अलग बनाती थी।"

"अम्म.." नितिन कुछ सोचने लगा। थोड़ी देर सोचने के बाद वह आगे बोला। "याद आया! जब भी वे घर आती थी हर वक्त चौकनी रहा करती थी। मेरे कई बार पूछने पर भी उन्होंने मेरे सवाल का कभी ढंग से कोई जवाब नही दिया। बाद में उन्होंने बताया कि उन्हें अपनी आस पास की चीजों से सीखना अच्छा लगता है।"

"तुम्हें ये बात थोड़ी अजीब नही लगी।" शैलजा ने पूछा। जो काफी देर से उन दोनों की बातचीत बड़े ध्यान से सुन रही थी। 

"पूछा था। पर दी के साथ मेरी बॉन्डिंग अच्छी नहीं थी।" नितिन ने बताया। उसके चेहरे पर आई उदासी को वहां पर मौजुद हर कोई देख पा रहा था।

"कोई बात नही!" शैलजा ने नितिन को तसल्ली देते हुए कहा।

"शुक्रिया!" नितिन ने सपाट भाव से जवाब दिया।

"वैसे सर आप इतनी देर से दी की पर्सनल लाइफ के बारे में इतना सब क्यों पूछ रहे थे?" नितिन खुद को पूछे बगैर ना रोक सका।

"वो इसलिए...." इतना कहते ही अभय चुप हो गया। वहां पर मौजुद तीनों की निगाहें अभय के ऊपर जा कर रूक गई। वह कुछ देर रुका और लाश के पास पहुंच कर बोला। "नितिन यहां आओ।" 

इतना सुनते ही नितिन अभय के पास चला गया। नितिन के पास आते ही अभय ने लाश के चेहरे के ऊपर से कपड़ा हटा दिया। सामने पड़ी हुई लाश को देखकर नितिन खड़े खड़े ही घुटनों के बल जमीन पर गया। वह लाश त्रिशा की थी।

वह रोना चाहता था। पर उसके मुंह से आवाज भी नही निकल पा रही थी। जिस बहन को वह इतने दिनों से ढूंढ रहा था उसकी लाश इस वक्त उसके ठीक सामने पड़ी हुई थी। अपनी बहन को ढूंढने के लिए उसने न जाने क्या क्या नही किया। वह इस हाल में मिलेगी, इसकी उसने कभी कल्पना भी नही की थी।

अभय ने नितिन को कंधो से पकड़ कर खड़ा किया और गले से लगा लिया। नितिन फुट फुट कर रोने लगा। नितिन के अंदर सिमटे हुए दुःख, तकलीफ और परेशानियां सब आंसु बनकर बह निकली। 

अभय के इशारे से आल्हादिनी पानी का गिलास ले कर आ गई। अभय नितिन को पानी का गिलास देते हुए बोला। "इसे पी लो। अभी तो तुम्हें बहुत कुछ बताना है।"

नितिन ने अभय के हाथ से पानी का गिलास लिया और एक ही सांस में उसे पी गया। वह खुद को सामान्य बनाने की कोशिश करते हुए बोला। "बताइए सर! आपको क्या बताना है।"

"त्रिशा एक एजेंट थी। वो भी सीक्रेट एजेंट।" अभय ने वहां पर मौजुद सभी के ऊपर बम फोड़ते हुए बताया और फिर आगे बोला। "उसका कोड नेम त्रिकाल था।"

"इस वजह से वह हमेशा इतनी अलर्ट रहती थी।" नितिन ने सपाट भाव से अपनी बात कही और फिर आगे बोला। "हमें इस बारे में कुछ भी नही पता था। पर आपको कैसे पता चला?" 

"सिक्रेक्ट एजेंट को अपनी आइडेंटिटी परिवार वालों को भी बताने की परमिशन नही होती। रही बात मुझे कैसे पता तो सुनो।" 



एक अंधेरा कमरा। जिसमें अभय के साथ उसी का हमउम्र एक और लड़का बैठा हुआ था। माहौल में फैले हुए सन्नाटे को चीरते हुए अभय बोला। "स्वाहा! हाल फिलहाल ‘ऑर्गेनो’ गैंग की गति विधियां बढ़ गई है।" कह कर वह चुप हो गया।

"मुझे मालूम है।" सामने बैठे हुए रहस्यमई शख्स ने अपनी प्रभावशाली आवाज में जवाब दिया। 

अभय ने पॉकेट से फोन निकाला और स्क्रीन पर एक फोटो लगा कर, स्वाहा के सामने रख दिया। फोटो को देखकर स्वाहा के चेहरे के भाव बदलने लगे। अंधेरे में होने की वजह से अभय स्वाहा के बदलते हुए भावों को नही देख पाया। 

"यह तो हमारी एजेंसी की सबसे होनहार एजेंट त्रिकाल है।" कहकर स्वाहा कुछ देर के लिए रुका और फिर आगे बोला। "इसे हमने ऑर्गेनों ग्रुप में घुसपेटिया बना कर भेजा हुआ है ताकि यह उस गैंग के बारे में सारी जरूरी इन्फॉर्मेशन कलेक्ट कर सके।"

"पर तुमने इसे ही क्यों भेजा?" अभय ने पूछा। उसकी आवाज में चिंता साफ झलक रही थी।

"वो इसलिए त्रिकाल को कोई नहीं जानता।इसके अलावा वह काफी होनहार, तेज और बहादुर लड़की है। वह एजेंट है इस बारे में उसके घर वालों को भी मालूम नही।" स्वाहा ने तारिफ के अंदाज में कहा।

"इसका भाई इसे ढूंढ रहा है।" अभय ने बम फोड़ते हुए बताया और सारी बात स्वाहा को बता दी।

"टेंशन ना लो वह सब संभाल लेगी।" स्वाहा ने कहा। उसकी आवाज में त्रिकाल को लेकर विश्वास साफ झलक रहा था। 

"अगर उसे कुछ हो गया तो...?" अभय ने अनहोनी के अंदेशे से पूछा।

"वो फिर भी सारे सबूत इक्कठा करके ले आएगी।" स्वाहा ने विश्वास के साथ जवाब दिया। पर त्रिकाल उस से अलग हो वह यह कभी नहीं चाहता था।

"ठीक है। बेस्ट ऑफ लक।" अभय ने कहा और अपनी जगह पर खड़ा हो गया। दोनों ने गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाया और अभय वहां से चलने लगा। वह जाते हुए स्वाहा से बोला। "जरूरत पड़ने पर मै तुम्हें परेशान करूंगा।" कहकर वह वहां से चला गया। बदले में स्वाहा मुस्कुरा दिया। पर उसकी इस मुस्कुराहट के पीछे की चिंता को ना तो कोई देख सकता था समझना तो दूर की बात।



नितिन को अपनी बहन पर गर्व महसुस हो रहा था। साथ ही साथ उसे ऑर्गेनों गैंग के लोगों पर गुस्सा भी आ रहा था। जिस वजह से उसके हाथों की दोनों मुट्ठियां गुस्से से अपने आप ही भींच गई। अभय का ध्यान नितिन पर गया। पर अगले ही पल वहां पर मौजुद सभी की नजरे अभय पर थी। उसने बात ही कुछ ऐसी कह दी थी।

"तुम दोनों में से सच कौन बताएगा?" अभय ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा। इतना सुनते ही आल्हादिनी और नितिन दोनों की हालत खराब हो गई। किसी के कुछ ना कहने पर अभय ने अपनी बात पर जोर देते हुए दोबारा फिर बोला । "तुम दोनों में से मुझे सच कौन बताएगा? कैसे जानते हो तुम एक दुसरे को?" अभय की बात सुनकर शैलजा की आँखें फटी की फटी रह गई।

★★★

जारी रहेगी...मुझे मालूम है आप सभी समीक्षा कर सकते है, बस एक बार कोशिश तो कीजिए 🤗❤️

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3 Comments

Barsha🖤👑

01-Feb-2022 09:18 PM

Nicely written👌👌

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Karan

13-Dec-2021 10:47 AM

बेहतरीन कहानी है आपकी...

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🤫

12-Dec-2021 09:39 PM

👌👌 nicely written

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